कार्टून कला
आनन्ददायक और सम्भावनाओं भरा क्षेत्र है कार्टूनिंग
कार्टूनिंग के क्षेत्र को स्वतन्त्र रूप से रोजगार के रूप में तभी अपनाएं जब अपना बाजार तैयार कर लें। इस क्षेत्र को आप शौकिया या व्यवसाय के रूप में अपनाएं, पूरे आत्मविश्वास के साथ काम करें। खूब अनुभव प्राप्त करें, सम्पर्क बढ़ाएं-कल आपका है। महिलाओं के लिए भी यह एक सम्भावनाओं भरा क्षेत्र है। फिलहाल कार्टूनिंग के क्षेत्र में महिलाएं न के बराबर हैं।
कार्टूनिंग के क्षेत्र में बढ़ती सम्भावनाओं को लेकर कार्टूनिस्ट चन्दर से हुई बातचीत के कुछ महत्वपूर्ण अंश प्रस्तुत हैं-
कार्टूनिंग के क्षेत्र में आने के लिए क्या करना चाहिए?
व्यंग्यचित्र कला या कार्टून आर्ट यानी कार्टूनिंग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में आने के लिए हमारे यहां कोई विशेषस्कूल-कॉलेज-इंस्टीट्यूट नहीं है। इसके अलावा विशेष रूप से हिन्दी में अच्छी पुस्तकें भी नहीं हैं। यों पत्राचारद्वारा कार्टूनिंग सिखाने के प्रयास भी हुए हैं पर यह सब अधिक चल नहीं पाया। इस क्षेत्र में आने के लिए कला केप्रति रुझान होना आवश्यक है। प्रायः बच्चों में कला के प्रति झुकाव जन्मजात होता है। जब कभी प्रतिभाओं कोसही दिशा और प्रोत्साहन मिल जाता है तो अच्छे कलाकार भी सामने आते हैं। इन्हीं में सेइक्कादुक्का कलाकार कार्टूनिस्ट के रूप में हमारे सामने होते हैं। कार्टनिस्ट बनने के लिए सही मार्गदर्शन, लगन, धैर्य, सूझबूझ, अवलोकन, अच्छे निरन्तर अभ्यास आदि के समन्वय की आवश्यकता होती है। छपे हुएकार्टून देख कर अभ्यास करने के उपरान्त सुप्रसिद्ध कार्टूनिस्ट बनने वाले अनेक लोग हैं। अपने पास छपे हुएअच्छे कार्टूनों का एक समृद्ध संग्रह भी होना चाहिए। यदि कोई पुस्तक मिले तो उसे पढ़ना देखना, विभिन्नवस्तुओं-दृश्यों, भवनों, व्यक्तियों आदि को ध्यान से देखना एक कार्टूनिस्ट के बहुत काम आता है। एक अच्छाविविधता भरा फोटो संग्रह, विभिन्न वेशभूषाओं और अन्य तमाम उपयोगी बातों की सचित्र जानकारी देनेवाला सचित्र ज्ञान कोश (इनसाइक्लोपीडिया) आदि रखना चाहिए। इण्टरनेट की सुविधा हो तो काम काफीआसान हो जाता है। एक अच्छा कार्टून बनाने लिए आवश्यक होता है एक अच्छा विचार। हममें से अधिकांशलोगों के मन में कार्टूनी विचार आते रहते हैं। पर उन विचारों को सम्हालकर रखना बहुत आवश्यक है। एक बारआया विचार प्रायः लौटकर नहीं आता। अतः सदा एक पॉकेट डायरी और पेन या पेंसिल अपने साथ रखनाचाहिए। जल्दी ही विचारों का एक बड़ा संग्रह तैयार हो जाएगा जो कार्टून बनाते समय काम आएगा। अच्छेसमाचार पत्र, पत्रिकाओं, वेबसाइटों आदि के नाम-पतों की सूची भी बनाना चाहिए। कार्टून प्रतियोगिताओं का भी ध्यान रखना चाहिए और उनमें भाग लेना चाहिए।
इस क्षेत्र में आजकल कैसी सम्भावनाएं हैं?
कला की यह महत्वपूर्ण विधा अपने में विविध सम्भावनाएं समेटे हुए है। कार्टून कला का इतना व्यापकउपयोग पहले कभी नहीं हुआ।प्रिण्ट और इलैक्ट्क्ट्रॉनिक मीडिया में कार्टून-कैरीकेचर का उपयोग जमकर होरहा है। 24 घण्टे चलने वाले अनेक कार्टून टीवी चैनल सबके सामने हैं। कार्टून एनीमेशन सिखाने वाले अनेकप्रशिक्षण केन्द्र शहर-कस्बों में खुल गये हैं। एनीमेशन और गेमिंग का एक बड़ा बाजार बन चुका है। कार्टून केमाध्यम से सर्वथा असम्भव कार्य किये-कराये जा सकते हैं। विज्ञापन, एनीमेशन फिल्म, वेबसाइट, कम्पनियोंके पहचान चिन्ह, पेकेजिंग आदि अनेक ऐसे क्षेत्र हैं जहां कार्टून कला का खूब उपयोग हो रहा है। अनेककार्टूनिस्ट अपनी वेबसाइट बनाकर देश-विदेश का अनेक प्रकार का कार्य करते हुए नाम और दाम कमा रहे हैं।कुछ सिण्डीकेट (एजेंसियां) हैं जो कमीशन लेकर जानेमाने कार्टूनिस्टों के कार्टून विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं कोउपलब्ध करा रहे हैं। देश में अनेकानेक दैनिक, साप्ताहिक और अन्य समाचार पत्र तथा पत्रिकाएं हैं जिन्हेंनियमित रूप से नित नये कार्टूनों की आवश्यकता होती है। प्रायः एकाधिक नियमित कार्टूनिस्ट औरकार्टूनिस्ट इलस्ट्रेटर-ग्राफिक डिजाइनर की नियुक्ति की जाती है। राजनीतिक या सम्पादकीय कार्टून बनाने केलिए विशेष रूप से स्थाई रूप से कार्टूनिस्ट रखा जाता है जो सामयिक-समसामयिक घटनाओं और विषयों परतुरन्त कार्टून बनाता है। भारत में श्रम सस्ता होने के कारण अनेक विदेशी कम्पनियां अच्छे कार्टूनिस्टों कीसेवाएं ले रही हैं। एनीमेशन और विज्ञापन के क्षेत्र में इसी के चलते पर्याप्त सम्भावनाएं बढ़ी हैं। अनेक मानवरचित कार्टून पात्र अपनी वैश्विक पहचान बना चुके हैं। कम्प्यूटर के बढ़ते उपयोग से भी इस क्षेत्र में बड़ी क्रान्तिआ गयी है। स्वयं कुशल कार्टूनिस्ट बनकर एक अच्छा कार्टून कला प्रशिक्षण केन्द्र आरम्भ किया जा सकताहै।
एक कार्टूनिस्ट की मासिक आमदनी कितनी हो सकती है?
इस क्षेत्र में अच्छी आमदनी कई बातों पर निर्भर करती है। योग्यता, आपकी कार्य शैली, निर्धारित समय मेंकार्य करना, अच्छा व्यापक सम्पर्क, निरन्तर अच्छे सम्बन्ध बनाए रखना, ग्राहक की आवश्यकता को ध्यानमें रखते हुए कार्य करना, नये और अच्छे अवसरों की तलाश करते रहना, पत्र-पत्रिकाएं पढ़ते रहना आदि अनेकबातें हैं जिनका एक स्वतन्त्र कार्टूनिस्ट को ध्यान रखना चाहिए। किसी पत्र-पत्रिका में नियमित रूप से कामकरने वाले कार्टूनिस्ट को अच्छा निर्धारित या तय वेतन मिलता है। यह आपके कार्य, अनुभव और मोल-भावके साथ-साथ प्रकाशनगृह या नियोक्ता की स्थिति पर निर्भर करता है। आरम्भ में यह प्रतिमाह 5-10-15 हजारऔर बाद में 25-30-40 हजार या अधिक भी हो सकता है। यों वेतन एक लाख रुपये प्रतिमाह से अधिक भी होसकता है। धीरे-धीरे आय बढ़ती है और प्रसिद्धि भी। इस क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रशिक्षित होना एक अतिरिक्त औरआवश्यक योग्यता है। इण्टरनेट का उपयोग करते हुए देश-विदेश में अपना कार्य भेजा जा सकता है और अच्छीआय प्राप्त की जा सकती है। अपनी वेबसाइट भी शुरू की जा सकती है जिसमें अपने कार्य को दर्शाया जा सकताहै, कार्य की दरें और अनेक आवश्यक जानकारी दी जा सकती है।
नये कार्टूनिस्टों से क्या कहना चाहेंगे?
कार्टून बनाना अपने और दूसरों के लिए किया जाने वाला एक ऐसा कार्य है जो आनन्द देता है। बिना घमण्डकिये निरन्तर सीखने की इच्छा रखना, देखना यानी अवलोकन, निरन्तर नियमित अभ्यास, नित नवीनता केसाथ अपना कार्य करते रहना, विचारों को लिखकर सम्हालकर रखना आदि ऐसी बातें हैं जो सदा काम आतीहैं। वरिष्ठ कार्टूनिस्टों का काम देखते रहना चाहिए। सम्भव हो तो उनसे सम्पर्क में भी रहना चाहिए। जहांआवश्यक हो पारिश्रमिक पहले तय कर लें। अपना शोषण न कराएं। कार्टूनिंग के क्षेत्र को स्वतन्त्र रूप सेरोजगार के रूप में तभी अपनाएं जब अपना बाजार तैयार कर लें। इस क्षेत्र को आप शौकिया या व्यवसाय केरूप में अपनाएं, पूरे आत्मविश्वास के साथ काम करें। खूब अनुभव प्राप्त करें, सम्पर्क बढ़ाएं-कल आपका है।महिलाओं के लिए भी यह एक सम्भावनाओं भरा क्षेत्र है। फिलहाल कार्टूनिंग के क्षेत्र में महिलाएं न के बराबरहैं।
प्रस्तुति: वरुण कुमार
युवाउमंग
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