Monday, December 28, 2009

कार्टूनिस्ट सम्मानित

कार्टूनिस्ट चन्दर सम्मानित

हाल ही में कार्टूनिस्ट चन्दर को पं. मदन मोहन मालवीय जयंती के उपलक्ष में अंशकालिक पत्रकार प्रोत्साहन पुरस्कार समारोह में ‘सर्वश्रेष्ठ कार्टूनिस्ट’ के रूप में सम्मानित किया गया। गुरुवार, 24 दिसम्बर 2009 को ग़ाजियाबाद स्थित मेवाड़ इंस्टीट्यूट में पं. मदन मोहन मालवीय जयंती के उपलक्ष में अंशकालिक पत्रकार प्रोत्साहन पुरस्कार समारोह आयोजित हुआ। सरस्वती माँ के समक्ष मुख्य अतिथि माननीय डॉ. भीष्म नारायण सिंह द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं मालवीय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद मालवीय जयन्ती का कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ। मेवाड़ संस्थान के अध्यक्ष अशोक कुमार गदिया ने संस्थान की ओर से मुख्य अतिथि डॉ. भीष्म नारायण सिंह व सभी सम्मानित अतिथियों का हार्दिक अभिनन्दन करते हुए इस अवसर पर पुरस्कार पाने वाले पत्रकारों को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि महामना मदन मोहन मालवीय विशिष्ट व्यक्तित्व के धनी थे, उनके जीवन को पढ़ने पर लगता है कि वे आदर्श विद्यार्थी, पुत्र, पति, देश भक्त पत्रकार, वकील, कवि एवं कुशल राजनीतिज्ञ थे। वे शिक्षा के क्षेत्र में युगदृष्टा थे जिन्होंने 1916 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की कल्पना की और उसको मू्र्त रूप दिया। दान और सहयोग प्राप्त करने में उनके मुकाबले में आजतक कोई व्यक्ति नहीं हुआ। वरिष्ठ पत्रकार और इंडिया टुडे पत्रिका के कार्यकारी सम्पादक जगदीश उपासने, जानेमाने कार्टूनिस्ट काक (हरीश चन्द्र शुक्ला ‘काक’) एवम् श्री रवीन्द्र त्रिपाठी की 3 सदस्यीय चयन समिति के निर्णय के अनुसार मुख्य अतिथि माननीय डॉ. भीष्म नारायण सिंह (पूर्व राज्यपाल-तमिलनाडु एवं असम) आशीश मणि त्रिपाठी (संवाददाता-हिन्दी), मनोज सिन्हा ( संवाददाता-अंग्रेजी), उमेश चतुर्वेदी (फीचर लेखक) और चन्दर/टी.सी. चन्दर (कार्टूनिस्ट) को सम्मानित किया गया। सभी को 5100.00 रुपये नकद राशि, शॉल, प्रशस्ति पत्र और मेवाड़ इंस्टीट्यूट का प्रतीक चिन्ह प्रदान किये। यह कार्यक्रम वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय की प्रेरणा और सहयोग से आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि डॉ. भीष्म नारायण सिंह ने महामना के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मालवीय जी विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। मालवीय जी के जीवन से हमें शिक्षा लेनी चाहिए कि निःस्वार्थ रूप से हम परमार्थ कारण के लिए संलग्न रहें। वह एक महान कर्मयोगी थे। उनमें विलक्षण प्रतिभा थी। उसी प्रतिभा के आधार पर उन्होंने एक महान विश्वविद्यालय की स्थापना की जो आज उनकी स्मृति का श्रेष्ठ उदाहरण है। उनकी पत्रकारिता आज भी हमें प्रेरित करती है कि हम देश प्रेम और सेवा के लिए कार्यरत रहें। जगदीश उपासने ने अपने सम्बोधन में कहा कि पत्रकारिता को नयी तकनीक तेजी से प्रभावित कर रही है। बदलते दौर में तकनीक का रोल लगातार महत्वपूर्ण होता जा रहा है। अब पत्रकारिता बड़े निवेश का विषय हो गया है। इसलिए कई बार लोंगो को यह शिकायत होती है कि पत्रकार पूरी ईमानदारी से पत्रकारिता नहीं कर रहा है। शिकायत करने वाले ऐसे लोगों को समझना चाहिए कि अब पत्रकारिता में पूँजी का रोल बढ़ गया है। फिर भी मनुष्य पत्रकारिता के केन्द्र में हमेशा से रहा है और हमेशा बना रहेगा। कार्यक्रम संचालन शिक्षा शास्त्र विभाग की प्राध्यापिका सुश्री मुग्धा आनंद ने किया।
 


1. श्रोता: कार्टूनिस्ट चन्दर और कार्टूनिस्ट काक, 2. दो शब्द: कार्टूनिस्ट चन्दर , 3. फ़ुर्सत: कार्टूनिस्ट काक, कार्टूनिस्ट चन्दर और पत्रकार सन्जय तिवारी, 4. पति-पत्नी: मन्जू गोपालन और चन्दर

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कार्टून इंस्टीट्यूट झांकी

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